
माह रजब में कुँडो की दावत
सवालः
अगर कोई पड़ोसी या क़रीबी रिश्तेदार हमारी कुँडों की पूरियों की दावत करे या हमारे यहाँ वह पूरियाँ भेजे तो हम उनका क्या करें? क्या खा सकते हैं या नहीं? अगर नहीं खा सकते तो किसी ग़रीब को या मिस्कीन को दे सकते हैं या नहीं? और अगर रिज़्क़ समझकर बग़ैर अकीदे के उनका खाना और बनाना कैसा है? इत्मिनान बख़्श जवाब से नवाज़ें।
जवाबः
कुँडो की दावत में शिरकत करना किसी मुसलमान के लिए जायज़ नहीं है। और अगर कुँडो की पूरयिाँ किसी के घर भेजी जाएँ, तो उन्हें बिला देर वापस कर दें, इसे हरगिज़ क़ुबूल न करें। किसी ग़रीब-मिस्कीन को भी देने की ज़रूरत नहीं है, इसलिये कि इस से एक बिदअत की हौसला अफ़ज़ाई होगी। और मुतअय्यन तारीख़ में जहाँ यह शुब्ह हो कि कुँडो समझ लिया जाएगा, घर में पूरीयाँ बनाने से भी एतराज़ करना चाहिए।


