शबे बरात की फ़ज़ीलत | Virtue of Shab-e-Baraat

हज़रत आयशा नबी अकरम स0अ0व0 से रिवायत फ़रमाती हैं कि आप ने फ़रमाया कि तुम्हें मालूम है, इस रात यानी शाबान की पंद्रहवीं शब में क्या होता है। उन्होंने दरयाफ़्त किया कि या रसूल अल्लाह स0अ0व0 क्या होता है। आप स0अ0व0 ने फ़रमाया, इस शब में यह होता है कि इस साल में जितने पैदा होने वाले हैं, वह सब लिख दिए जाते हैं और जितने इस साल मरने वाले हैं, वह सब इस रात में लिख दिए जाते हैं। और इस रात में सब बंदों के आमाल (पूरे साल के) उठाए जाते हैं और इसी रात में लोगों की मुक़र्रर रोज़ी उतरती है।


माहे शाबान अल-मुअज्जम में एक रात आती है जो बड़ी फ़ज़ीलत व बुज़ुर्गी वाली रात है। जलीलुल-क़दर ताबेई हज़रत अताअ बिन यसर फ़रमाते हैं कि लैलतुल-क़द्र के बाद शाबान की पंद्रहवीं शब से ज़्यादा कोई रात अफ़ज़ल नहीं।
अरफ आम में इस रात को शब-ए-बरात कहते हैं। शब फ़ारसी का लफ़्ज़ है जिसके मानी रात के हैं और बरात अरबी का लफ़्ज़ है जिसके मानी बरी होने और नजात पाने के हैं। चूंकि इस रात रहमत-ए-ख़ुदावंदी के तुफ़ैल ला तादाद इंसान दोज़ख़ से नजात पाते हैं, इसलिए इस रात को शब-ए-बरात कहते हैं। और यह शाबान की पंद्रहवीं शब होती है।

हुरूफ़ के एतिबार से माह-ए-शाबान की फ़ज़ीलतः


कुछ मशाइख ने फ़रमाया है कि इस महीने को इस लिए शाबान कहते हैं कि इसके पाँच हुरूफ़ हैं। श, अ, ब, अलिफ़, न। इन हुरूफ़ की फ़ज़ीलत अपनी जगह पर है। “श“ शराफ़त से लिया गया। “अ“ अल्लो मर्तबत से लिया गया। “ब“ बर (नेकी) से लिया गया। “अलिफ़“ उल्फ़त से लिया गया (यानी अल्लाह की मुहब्बत)। और “न“ नूर से लिया गया।
इन पाँच अल्फ़ाज़ के पहले-पहले हुरूफ़ को मिलाकर यह लफ़्ज़ बना दिया गया ताकि बंदों को पता चल जाए कि अगर हम इस महीने में इबादत करेंगे तो परवरदिगार की तरफ़ से यह पाँच नेमतें अता कर दी जाएंगी।


पंद्रह शाबान का रोज़ाः

नबी करीम स0अ0व0 ने इरशाद फ़रमाया कि इस रात में आदमी के आइंदा साल ज़िंदा रहने या मरने के फ़ैसले होते हैं। और मैं चाहता हूँ कि जब वह फ़ैसला हो तो मैं उस वक़्त रोज़े के साथ हूँ। अय्याम-ए-बीज़ (13,14,15) के तो वैसे भी रोज़े रखने चाहिएं। ताहम पंद्रह शाबान का रोज़ा रखना मुस्तहब है।


इस रात में क्या होता हैः

इस रात में बड़े-बड़े काम अंजाम पाते हैंः (1) इस साल जितने पैदा होने वाले हैं, उनके नाम लिख दिए जाते हैं। (2) जिन लोगों की मौत आनी है, उनके नाम भी लिख दिए जाते हैं। (3) इस रात में बंदों के आमाल उठाए जाते हैं यानी बारगाह-ए-ख़ुदावंदी में पेश किए जाते हैं। (4) इस रात में मख़लूक़ को जो इस साल रिज़्क़ (रोज़ी) मिलना है, वह लिख दिया जाता है वग़ैरह।


कुछ रिवायतों में आया है कि पंद्रह शाबान की रात रिज़्क़ के फ़ैसलों की रात है। रिज़्क़ के ज़ुमरे में बीवी, बच्चे, सेहत, इज़्ज़त, माल व दौलत, कपड़ा, मकान हर चीज़ शामिल है। गोया आज की रात आइंदा साल के फ़ैसलों की रात है। फेहरिस्तें आज रात ही बनती हैं और यह रमज़ानुल-मुबारक में लैलतुल-क़द्र में फ़रिश्तों के हवाले कर दी जाती हैं। फिर इस पर पूरे साल आहिस्ता-आहिस्ता अमल किया जाता है।


हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (र.अ.) से मरवी है कि तमाम उमूर के फ़ैसले तो शब-ए-बरात में होते हैं और जिन फ़रिश्तों को इन उमूर को अंजाम देना है, उनके सुपुर्द रमज़ान की सत्ताईसवीं शब में किए जाते हैं।
(रूहुल-मआनी फी तफ़्सीरुल-क़ुरआन, जिल्दः 25, सफ़ाः 113)


हज़रत अताअ बिन यसर फ़रमाते हैं कि जब शाबान की पंद्रहवीं शब होती है तो ख़ुदा की तरफ़ से एक फेहरिस्त मलिकुल-मौत को दी जाती है और हुक्म दिया जाता है कि जिन लोगों के नाम इस फेहरिस्त में दर्ज हैं. इन की रूहों को क़ब्ज़ करना है। कोई बंदा तो बाग़ों के दरख़्त लगा रहा होता है। कोई शादी करता होता है कोई तामीरी काम में मसरूफ़ होता है हालाँकि इस का नाम मर्दों की फेहरिस्त में लिखा जा चुका है। (लताइफ़ अल-मआरिफ़ः १४८)


हज़रत राशिद बिन सअद से मर्वी है कि नबी अकरम स0अ0व0 ने फ़रमाया शअबान की पंद्रहवीं शब को अल्लाह तआला उन तमाम रूहों को क़ब्ज़ करने की तफ़सील मलिकुल मौत को बता देते हैं जो इस साल में क़ब्ज़ की जाएँगी। (जामेअ अल-बयान फ़ी तफ़्सीर अल-क़ुरआन, ज: २५, सः ६५)


शब-ए-बरात मग़फ़िरत और रहमत की रातः

हज़रत आयशा फ़रमाती हैं कि एक रात मैंने रसूल अल्लाह स0अ0व0 को अपने पास न पाया तो मैं आप की तलाश में निकली, क्या देखती हूँ कि आप जन्नतुल बक़ीअ में तशरीफ़ फ़रमा हैं। आप ने फ़रमाया, “ऐ आयशा, क्या तुम्हें यह अंदेशा है कि ख़ुदा और रसूल तुम पर ज़ियादती कर सकते हैं?“ मैंने अर्ज़ किया कि या रसूल अल्लाह, मुझे यह ख़याल हुआ कि शायद आप किसी दूसरी अहलिया के पास तशरीफ़ ले गए हैं। आप ने फ़रमाया, “बिलाशुबा अल्लाह तआला शअबान की पंद्रहवीं शब आसमान-ए-दुनिया की तरफ़ नुज़ूल फ़रमाते हैं और बानू क़ल्ब की बकरियों के बालों के बराबर लोगों की मग़फ़िरत फ़रमा देते हैं।“ (तिर्मिज़ी शरीफ़ः जः 1, सफ़ः १५६)


हज़रत अला बिन हारिस से रिवायत है कि हज़रत आयशा ने फ़रमाया कि रसूलुल्लाह स0अ0व0 रात को उठे और नमाज़ पढ़ने लगे और इतने लंबे सजदे किए कि मुझे यह ख़याल हुआ कि आप की वफ़ात हो गई है। मैंने जब यह मामला देखा तो मैं उठी और आप के पैरों के अंगूठे को हरकत दी, उसमें हरकत हुई। मैं वापस लौट आई। जब आप ने सजदे से सर उठाया और नमाज़ से फ़ारिग हुए तो फ़रमाया, “ऐ आयशा,“ या फ़रमाया “ऐ हुमैरा, क्या तुम्हारा यह ख़याल है कि अल्लाह का नबी तुम्हारी हक़तल्फ़ी करेगा?“ मैंने अर्ज़ किया, “या रसूल अल्लाह! बख़ुदा ऐसी बात नहीं है। दरहक़ीक़त मुझे यह ख़याल हुआ कि शायद आप की वफ़ात हो गई है, क्योंकि आप ने बहुत लंबे सजदे किए थे।“ आप ने फ़रमाया, “जानती भी हो, यह कौन सी रात है?“ मैंने अर्ज़ किया, “अल्लाह और उसके रसूल ज़्यादा जानते हैं।“ फ़रमाया, “यह शअबान की पंद्रहवीं शब है। अल्लाह तआला इस रात अपने बंदों पर नज़र-ए-रहमत फ़रमाते हैं। बख़्शिश चाहने वालों की मग़फ़िरत फ़रमाते हैं, रहम के तलब करने वाले पर रहम फ़रमाते हैं और कीना-वरों को उनकी हालत ही पर छोड़ देते हैं।“ (शोअब अल-ईमान लिलबिहक़ी, ज ३ स ३८२)


हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत करते हैं कि आप ने फ़रमायाः अल्लाह तआला नस्फ़-ए-शअबान की रात आसमान-ए-दुनिया की तरफ़ नुज़ूल फ़रमाते हैं और इस रात में हर किसी की मग़फ़िरत कर दी जाती है सिवाय मुशरिक के या ऐसे शख़्स के जिस के दिल में बुग़्ज़ हो। (शोअब अल-ईमान लिलबिहक़ी, ज ३, सफ़ः ३८०)


हज़रत अबू हुरैरा फ़रमाते हैं कि रसूल अल्लाह ने फ़रमाया जब शअबान की पंद्रहवीं शब होती है तो अल्लाह तआला सिवाय मुशरिक और कीना-वर के बाकी सब की मग़फ़िरत फ़रमा देते हैं। (मजमअ अल-ज़वाएद, जः ८ सफ़ः ६५)


हज़रत आउफ़ बिन मालिक फ़रमाते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया शअबान की पंद्रहवीं शब अल्लाह तआला अपनी मख़लूक़ पर नज़र-ए-रहमत फ़रमाते हुए सिवाय मुशरिक और कीना-वर के बाकी सब की मग़फ़िरत फ़रमा देते हैं।
शबे बरात में नज़रे रहमत से महरूम रहने वाले लोगः


1. अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने वाला। (काफ़िर-मुशरिक)

2. कीना रखने वाला। जिस के दिल में बुग़्ज़ व नफ़रत हो।

3. किसी इंसान को नाहक़ क़त्ल करने वाला।

4. फ़ाहिशा औरत। बदकार औरत।

5. क़त-ए-रहमी करने वाला। रिश्ते-नाते तोड़ने वाला।

6. तहबंद या पाजामा घुटनों से नीचे लटकाने वाला।

7. वालिदैन की नाफ़रमानी करने वाला।

8. शराब पीने वाला। शराब का आदी शख़्स। 9. जादूगर।

10. ग़ैब की चीज़ें बतलाने वाला।


जागता है जाग ले अफ़्लाक़ के साए तले
हश्र तक सोता रहेगा ख़ाक के साए तले


दुआ करें कि अल्लाह तआला हम सब के लिए शब-ए-बरात में मग़फ़िरत के फ़ैसले फ़रमाए। आमीन। सुम्मा आमीन।

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