Author name: Mohd Asad KTP

Health Notes

निज़ामे हाज़मा की सोज़िश | Conspiracy of Nizame Hazma | Inflammatory bowel Disease

निज़ामे हाज़मा की सोज़िश | Conspiracy of Nizame Hazma | Inflammatory bowel Disease हमारा निज़ामे हाज़मा, मुँह से शुरू होकर हलक़, खाने की नाली, पेट, बड़ी और छोटी आंत से मक़अद पर जाकर ख़त्म होता है। हैं। जबकि मददगार अज़ा जैसे लबलबा, मुँह में मौजूद ग़द्दूद, जिगर और पित्त वग़ैरा मुख़्तलिफ़ औक़ात पर अपने-अपने तरीक़ों […]

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Muslim Girls Hijab

हिजाब मेरा ज़ेवर | Hijab is my jewelry

अज़ीज़ बहनो! यह क़िस्सा जो आप पढ़ने जा रही हैं, एक नौजवान पढ़ी-लिखी फ़िलिस्तीनी लड़की का है, जो एक माडर्न घराने से ताल्लुक रखती थी। एक ऐसा घराना जहाँ हिजाब या नक़ाब का कोई तसव्वुर नहीं था। फ़िलिस्तीन अंबिया की सरज़मीन है जिस पर इसराइलीयों ने ग़ासिबाना क़ब्ज़ा कर रखा है। कभी वहाँ पर अमन-ओ-चैन

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रोज़ा के रूहानी व जिस्मानी फ़वाइद | Spiritual and physical benefits of fasting

रोज़ा के रूहानी व जिस्मानी फ़वाइद | Spiritual and physical benefits of fasting               इंसान रूह और जिस्म के मजमूआ का नाम है, जिस्म रूह के बिना लाश और रूह जिस्म के बिना लाशई है। जिस्म मिट्टी से बनाया गया, जबकि रूह की तख़्लीक़ पर अभी असार के परदे

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रसूलुल्लाह स0अ0व0 का दस्तरख़्वान और हमारा रमज़ानुल-मुबारक

रसूलुल्लाह स0अ0व0 का दस्तरख़्वान और हमारा रमज़ानुल-मुबारक दीगर इबादात की तरह रोज़े का अहम तरीन मक़सद भी तक़वा, यानी परहेज़गारी का हुसूल है। गोया रोज़े का मक़सद सिर्फ़ खुद को खाने-पीने से रोकना ही नहीं, बल्कि सब्र व शुक्र और क़नाअत है, यानी रोज़े का हक़ीक़ी मक़सद बहुत अरफ़ा व आला है। रोज़ा वह इबादत

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खुश आमदीद माहे सियाम | Happy Arrival Mahe Ramadan

हज़रत अबू हुरैरा रज़ि0 से रिवायत है कि रसूलुल्लाह स0अ0व0 ने फरमायाः जो शख़्स ईमान के साथ और सवाब की उम्मीद से रमज़ान के रोज़े रखेगा, उसके पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाएँगे।हदीस शरीफ की तशरीहः इस हदीस शरीफ से मालूम हुआ कि रमज़ान में रोज़ा रखना इन दो शर्तों (ईमान और सवाब की उम्मीद)

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रमज़ान ईमानव एहतिसाब | Ramadan Faithful Accountability

रमज़ान के आने से पहले ही सारे मुसलमान इसके ज़िक्र व फ़िक्र में मशगूल हो जाते हैं। कहीं जिस्मानी तैयारी और कहीं रूहानी तैयारी शुरू हो जाती है, बहरहाल तैयारी दोनों ही ज़रूरी हैं। जिस्मानी में सेहत का दर्जा सबसे अहम है; क्योंकि सेहत होगी तभी इंसान रोज़े रख सकेगा। और रूहानी सेहत भी ज़रूरी

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