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ایک عورت اپنے شوہر کے تنگ حالات کی بنا پر ایک خوشحال آدمی کے گھر گئی

ایک عورت اپنے شوہر کے تنگ حالات کی بنا پر ایک خوشحال آدمی کے گھر گئی اور دروازہ کھٹکھٹایا۔ ایک خادم باہر آیا اور اس سے پوچھا: “تم کیا چاہتی ہو؟” عورت نے کہا: “میں تمہارے مالک سے ملنا چاہتی ہوں۔” خادم نے پوچھا: “تم کون ہو؟” عورت نے کہا: “اسے بتاؤ کہ میں اس […]

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🌟  لیلتہ القدر 🌟

🌟  لیلتہ القدر 🌟 *موجودہ حساب کتاب کے دور میں ، ہمیں وہی چیزیں اچھی طرح سمجھ آتی ہیں جسمیں حساب واضح ہو* بچپن سے ہم سب قرآن میں پڑھتے اور بڑوں سے سنتے آئے ہیں کہ لیلة القدر ہزار مہینوں سے بہتر ہے. لیکن اسکے ایک ایک لمحے کو اس طرح استعمال نہیں کرتے

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کیا آپ جانتے ہیں “اللهم إنك عفو تحب العفو فاعفُ عنا” کا کیا مطلب ہے؟

کیا آپ جانتے ہیں “اللهم إنك عفو تحب العفو فاعفُ عنا” کا کیا مطلب ہے؟ 🌔 آج سے لے کر رمضان کے آخری سورج غروب ہونے تک زیادہ سے زیادہ یہ دعا پڑھیں: 🌔 “اللهم إنك عفو تحب العفو فاعفُ عنا” 🌔 کسی لمحے کو ضائع نہ کریں، اور تکرار کرنے میں ہچکچاہٹ نہ دکھائیں،

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पैगंबर मुहम्मद ﷺ का संदेश

पैगंबर मुहम्मद ﷺ का संदेश जब रमज़ान शुरू होता है तो जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं और शैतानों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है।(सही बुखारी 1800) جب رمضان شروع ہوتا ہے تو جنت کے دروازے کھل جاتے ہیں اور جہنم کے دروازے بند

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रोज़ा के रूहानी व जिस्मानी फ़वाइद | Spiritual and physical benefits of fasting

रोज़ा के रूहानी व जिस्मानी फ़वाइद | Spiritual and physical benefits of fasting               इंसान रूह और जिस्म के मजमूआ का नाम है, जिस्म रूह के बिना लाश और रूह जिस्म के बिना लाशई है। जिस्म मिट्टी से बनाया गया, जबकि रूह की तख़्लीक़ पर अभी असार के परदे

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रसूलुल्लाह स0अ0व0 का दस्तरख़्वान और हमारा रमज़ानुल-मुबारक

रसूलुल्लाह स0अ0व0 का दस्तरख़्वान और हमारा रमज़ानुल-मुबारक दीगर इबादात की तरह रोज़े का अहम तरीन मक़सद भी तक़वा, यानी परहेज़गारी का हुसूल है। गोया रोज़े का मक़सद सिर्फ़ खुद को खाने-पीने से रोकना ही नहीं, बल्कि सब्र व शुक्र और क़नाअत है, यानी रोज़े का हक़ीक़ी मक़सद बहुत अरफ़ा व आला है। रोज़ा वह इबादत

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खुश आमदीद माहे सियाम | Happy Arrival Mahe Ramadan

हज़रत अबू हुरैरा रज़ि0 से रिवायत है कि रसूलुल्लाह स0अ0व0 ने फरमायाः जो शख़्स ईमान के साथ और सवाब की उम्मीद से रमज़ान के रोज़े रखेगा, उसके पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाएँगे।हदीस शरीफ की तशरीहः इस हदीस शरीफ से मालूम हुआ कि रमज़ान में रोज़ा रखना इन दो शर्तों (ईमान और सवाब की उम्मीद)

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रमज़ान ईमानव एहतिसाब | Ramadan Faithful Accountability

रमज़ान के आने से पहले ही सारे मुसलमान इसके ज़िक्र व फ़िक्र में मशगूल हो जाते हैं। कहीं जिस्मानी तैयारी और कहीं रूहानी तैयारी शुरू हो जाती है, बहरहाल तैयारी दोनों ही ज़रूरी हैं। जिस्मानी में सेहत का दर्जा सबसे अहम है; क्योंकि सेहत होगी तभी इंसान रोज़े रख सकेगा। और रूहानी सेहत भी ज़रूरी

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